everyday what time in morning we should do our puja

Everyday what time in morning we should

 do our Puja

Everyday what time in morning we should do our Puja

भगवान की पूजा आराधना करने के लिए सुबह का समय सबसे उत्तम माना गया है। वैसे भगवान् की पूजा तो सच्चे मन से कभी भी की जा सकती है, परन्तु  ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व है। भक्ति के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस समय मन शांत रहता है। थकान नहीं रहती है और पूजा अच्छे से हो पाती है।

प्रतिदिन प्रात काल हमें सुबह जल्दी उठकर नहा धो कर स्वच्छ कपडे पहन कर पवित्र मन से उषा काल में भगवान् की पूजा करनी चाहिए | क्युकी इस समय में की गयी पूजा का फल हमें अवश्य ही सकारात्मक मिलता हे | इस समय को सबसे उत्तम माना गया हे |

जानिये क्या हे ब्रह्म मुहूर्त-

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ब्रह्म मुहूर्त में पूजा पाठ करना सबसे उपयुक्त रहता है। पूजा पाठ सही तरह और सही समय पर की जाएं तो हमें उचित फल मिलता है और घर में सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती है। ऋषि मुनियों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त को देवताओं का समय कहा गया है। इसलिए हमें प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए। इस समय जागने और पूजा पाठ करने से मन को असीम शांति प्राप्त होती है। ब्रह्म मुहूर्त का समय लगभगबजे से 7 बजे तक का माना गया हे |

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ब्रह्म से तात्पर्य है परमात्मा या परम तत्व | इसीलिए हम सभी को सूर्य के उदय होने से पहले जगना चाहिए और पूजा पाठ करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त रात  का अंतिम पहर होता है। सुबह चार बजे से साढ़े पांच बजे तक ब्रह्म मुहूर्त का रहता है। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठने से हमारा स्वास्थ भी ठीक रहता है और  सुबह के समय शरीर पर पड़ने वाली सूर्य की पहली किरणें हमारे लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। इससे हमारी त्वचा कांतिमय होती है।

भारतीय संस्कृति में कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सवा के समय को बहुत ही शुभ माना गया हे | हिन्दुओ का मानना हे की इस समय में किया गया कार्य अवश्य ही सफल होता हे |

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सुबह के समय पूजा करने के लिए हमें जल्दी जगना होता है। सुबह जल्दी उठना एक अच्छी आदत हे और इससे शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते है जिससे  दिन भर ताजगी बनी रहती है। सुबह का समय ध्यान करने के लिए बहुत अच्छा होता है। सुबह के समय बेवजह का शोर नहीं होता है तथा वातावरण में शुद्धता रहती है।

पूजा करते समय हमेशा एक बात ध्यान रखें कि आप पूर्व की ओर मुख करके बैठे| और अपने बायीं तरफ घंटा, घूप और दायी तरफ शंख, जलपात्र और पूजन सामग्री रखें। इस तरह विधि विधान से पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती हैसाथ ही जो व्यक्ति पूजा कर रहा हो, उसके माथे पर तिलक लगा होना चाहिए |

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पूजा करते समय मुख हमेशा या तो पूर्व में या फिर उत्तर में होना चाहिए। संभवत सुबह 6 से 8 बजे के बीच पूजा कर लेनी चाहिएपूजा आसन पर बैठकर करनी चाहिएबैठने का आसन ऊनी होगा तो श्रेष्ठ रहेगा। पूजा के समय भगवान का ध्यान होता है, मंत्रों का भी जाप करना पड़ता हैइन कामों के लिए सुबह का समय सबसे ठीक माना गया है।

सुबह के समय में दिमाग में बेकार के विचार नहीं आते हे | भगवान की भक्ति के लिए मन को एकाग्र रखना जरूरी है | ताकि पूरा ध्यान पूजा में लगा हो |

इस समय के बाद दिन में हमें कई सारे काम होने की वजह से हमारा मन एकाग्र नहीं रह पता हे | और यदि हमारा मन एकाग्र नहीं हो तो हमें पूजा भी नहीं करनी चाहिए

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ब्रह्म मुहूर्त को पूजा आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पूजा शांत मन से की जाती है तो भगवान भी भक्त की साड़ी इच्छाएं पूरी करते हैं। पूजा पुरे मंत्र उच्चारण के साथ की जनि चाहिए | शास्त्रों में भी कहा गया है सभी देवी देवता के अलग-अलग मंत्र हैं। ऐसे में जिस देवी या देवता की पूजा की जा रही हो उस समय उनके ही मंत्र पढ़ने चाहिए।

इसलिए हमें उचित फल की प्राप्ति के लिए तथा

भगवान् को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल्दी

उठकर ब्रह्म मुहूर्त में पूजा कर लेनी चाहिए | 


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