Om Jai Jagdish Hare aarti lyrics in hindi | ओम जय जगदीश हरे,

ॐ जय जगदीश हरे आरती Aarti Om Jai Jagdish Hare lyrics

आरती जय जगदीश हरे

भारत देश में देवी देवताओ की आराधना करने का उपयुक्त तरीका हे उनकी आरती करके उनका  गुणगान करना | इसी क्रम में आज हम आपके लिए विष्णु भगवान  लोकप्रिय आरती '' ओम जय जगदीश हरे '' प्रस्तुत कर रहे हे | 

ये आरती '' Om Jai Jagdish Hare '' एक धार्मिक आरती हे और भगवान् श्री विष्णु जी को समर्पित हे |  पं. श्रद्धाराम शर्मा द्वारा रचित ये आरती आज भी  भारत देश के हर घर में गायी जाती हे | इस आरती को गाने से भगवान् विष्णु जी प्रसन्न होते हे और साथ ही हमें आशीर्वाद प्रदान करते हे | 

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दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित है| इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया व सुनाया जाता हैं। कुछ का मानना है कि इसका मनन करने से देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिलता है।


ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे | ||
ओम जय जगदीश हरे||
जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिन से मन का, स्वामी दुःखबिन से मन का |
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का  ||
ओम जय जगदीश हरे ||

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा, प्रभु बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी  ||
ओम जय जगदीश हरे||


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी  ||
ओम जय जगदीश हरे||


तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता  ||
ओम जय जगदीश हरे||

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति  ||ओम जय जगदीश हरे||

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, तुम ठाकुर मेरे, स्वामी तुम रक्षक मेरे |
अपने हाथ उठाओ, अपने हाथ बढाओ, द्वार पड़ा में तेरे ||
ओम जय जगदीश हरे||

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा  ||
ओम जय जगदीश हरे||

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे  ||
ओम जय जगदीश हरे||

श्री विष्णु भगवान की जय |

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