Shri Hanuman Chalisa and Aarti । Shri Hanuman Chalisa mp3 | Shri Hanuman Chalisa Lyrics in hindi

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Shri Hanuman Chalisa and Aarti MP3
Shri Hanuman Chalisa and Aarti MP3

Shri hanuman chalisa and aarti mp3 
Shri Hanuman Chalisa and Aarti का पाठ करने से भक्तजन सभी प्रकार के भय से दूर रहते हे और बजरंग बलि भगवान हमेशा भक्तो की रक्षा करते हे और सभी दुखो का नाश करते हे | Shri hanuman chalisa and aarti करने से भक्तो के सभी कष्ट दूर हो जाते हे और साथ ही प्रभु श्री राम का आशीर्वाद भी प्राप्त होता हे | प्रति दिन सभी भक्तो को Shri hanuman chalisa and aarti का पाठ करना चाहिए | बजरंग बलि आप सभी को सुखी और स्वस्थ रखे ऐसी बालाजी से हम प्रार्थना करते हे तो आइये हम सभी Shri hanuman chalisa and aarti का पाठ करे |
इस कलयुग में ऐसा माना जाता हे की एकमात्र हनुमान जी ही जीवित देवता हे जो सब धर्मो की और सब लोगो की रक्षा करते हे | हनुमान जी सदैव अपने भक्तो पर प्रसन्न रहते हे और उनकी मनोकामना पूरी करते हे | इनकी हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत ही शुभ माना गया हे | जिसके अनेको लाभ हे | 
आइये  जाने की hanuman chalisa  का पाठ करने के क्या लाभ हे -
तुलसीदास द्वारा रचित श्री हनुमान चालीसा भक्तो द्वारा बजरंग बलि को प्रसन्न करने के लिए गयी जाती हे | इसका पाठ करने से भक्त की आर्थिक समस्या दूर होती हे |  
हिन्दू धर्म में श्री हनुमान चालीसा का महत्व बहुत अधिक है | हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है | हनुमान जी ही इस कलयुग में जागृत देव है | जिस किसी पर हनुमान जी की कृपा हो जाती है उस व्यक्ति को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है | नियमित तरीके से और रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

shri hanuman chalisa in hindi
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुधि विद्या देऊ मोहि, हरहु कलेश विकार ||

चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर |
राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा |

महाबीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी |
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुँचित केसा |

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजे |
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन |

विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर |
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मनबसिया |

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा |
भीम रूप धरि असुर सँहारे, रामचंद्र जी के काज सवाँरे |

लाय सजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर हरषि उर लाए |
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई |

सहस बदन तुम्हरो जस गावै, अस कहि श्रीपति कंठ लगावै |
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा |

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कवि कोविद कहि सके कहाँ ते |
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा |

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भय सब जग जाना |
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू |

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लाँघि गए अचरज नाही |
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते |

Shri Hanuman Chalisa and Aarti MP3
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे |
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहु को डरना |

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक तै कापै |
भूत पिशाच निकट नहि आवै, महावीर जब नाम सुनावै |

नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा |
संकट तै हनुमान छुडावै, मन क्रम वचन ध्यान जो लावै |

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा |
और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै |

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा |
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे |

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता |
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा |

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै |
अंतकाल रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई |

और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्ब सुख करई |
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा |

जै जै जै हनुमान गुसाईँ, कृपा करहु गुरु देव की नाई |
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई |

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्ध साखी गौरीसा |
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मह डेरा |

दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ||
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ||

इति श्री हनुमान चालीसा पाठ समाप्त |

जय श्री हनुमान

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Shri Hanuman Chalisa and Aarti lyrics  | श्री हनुमान आरती lyrics

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की |
जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झाँपे |
अंजनी पुत्र महाबलदायी, संतान के प्रभु सदा सहाई |
दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारी सिया सुध लाए |
लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई |
लंका जारी असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे |
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनी संजीवन प्राण उबारे |
पैठी पताल तोरि जम कारे, अहिरावण की भुजा उखारे |
बाएं भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे |
सुर नर मुनि जन आरती उतारे, जै जै जै हनुमान उचारे |
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई |
लंकविध्वंस कियो रघुराई, तुलसीदास स्वामी कीरति गाई |
जो हनुमान जी की आरती गावै, बैसि बैकुंठ परमपद पावै |
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||

बजरंग बलि महाराज की जय

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