Shiva Tandava Stotram lyrics in Hindi with meaning | shiv tandav stotram lyrics in hindi

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Shiva Tandava Stotram mp3 song

शिव ताण्डव स्तोत्र

शास्त्रों के अनुसार रावण द्वारा इस पवित्र शिव स्तोत्रम की रचना की गयी | जिसे सुनकर महादेव शिव अत्यंत प्रसन्न हो गए थे |

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शिव ताण्डव स्तोत्रम भोलेनाथ भगवान शिव के परम भक्त रावण की एक रचना हैं कि क्यों महावेद शिव ने रावण को कैलाश पर्वत के शिखर से नीचे गिरा दिया |

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शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning

जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले, गलैव लम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम,

डमग डमग डमग डमन्निनाद वडमर्वयं, चकार चण्ड ताण्डवम  तनोतु नः शिव: शिवम| |1|


जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्नि लिम्प निर्झरी, विलोलवीचि वल्लरी विराज मानमूर्धनि,

धगद्ध धगद्ध धगज  ज्लल्ललाटपट्ट पावके, किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणम मम: || | 2 |

 

धराधरेंद्र नंदिनी विलासबन्धु बन्धु, स्फुरद्दिगंत संतति प्रमोद मानमानसे,

कृपाकटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि, क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि || | 3 |

 

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जटाभुजंग पिंगल स्फुरत्फणा मणिप्रभा, कदंब कुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे,

मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे, मनोविनोद भूतम बिंभर्तुभूत भर्तरि || | 4 |

 

सहस्रलोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर,  प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराम घ्रिपीठभूः,

भुजंगराज मालया निबद्ध जाटजूटकः, श्रियैचिरायजायताम चकोर बंधुशेखरः || | 5 |

 

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा, निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्,

सुधामयूख लेखया विराजमान शेखरम, महाकपालिसंपदे शिरोजटाल मस्तुनः || | 6 |

 

करालभाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल, द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके,

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्र चित्रपत्र, कप्रकल्पनैक शिल्पिनी त्रिलोचनेर तिर्मम || | 7 |

 

नवीनमेघ मंडली निरुद्ध-दुर्ध रस्फुर, त्कुहुनिशीथ नीतमः प्रबद्ध बद्ध कन्धरः,

निलिम्पनिर्झरी धरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः, कलानिधानबंधुरः श्रियम जगंत धूरंधरः || | 8 |

 

प्रफुल्लनील पंकज प्रपंच कालिमप्रभा, विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंध कंधरम्,

रमच्छिदम पुरच्छिंदम भवच्छिदम मखच्छिदम, गजच्छिदांध कच्छिदम तमंतकच्छिदम भजे || | 9 |

 

अखर्व सर्वमंगला कलाकदम्ब मंजरी, रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम,

स्मरांतकम पुरातकम भावंतकम मखांतकम, गजांत कांधकांतकम तमंतकांतकम भजे || | 10 |

 

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जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध,  गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट,

धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगल , ध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः || | 11 |

 

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्र, जोर्गरिष्ठरत्न लोष्ठयोः सुहृद्विपक्ष पक्षयोः,

तृणारविंदचक्षुषो प्रजामही महेन्द्रयो, समम प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवम भजे || | 12 |

 

कदा निलिंप निर्झरी निकुंज कोटरे वसन, विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिम वहन,

विमुक्त लोललोचनो ललामभाल लग्नकः, शिवेति मंत्रमुच्चरन कदा सुखी भवाम्यहम || | 13 |

 

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम, स्तवम पठन्स्मरन ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम,

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिम, विमोहनम हि देहिनाम सुशंकरस्य चिंतनम || | 14 |

 

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शिव तांडव स्तोत्र का हिंदी अर्थ सरल भाषा में

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1- महादेव की जटाओ से बहने वाले जल से महादेव का कंठ पवित्र है, और उनके गले में नागराज है जो किसी हार की तरह लटका हुआ है, और डमरू से डमग  डमग डमग की ध्वनि निकल रही है, भगवान शिव उनका प्रिय और पवित्र ताण्डव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको सुख समृद्धि प्रदान करे |

2- मेरी आराध्य शिव में अथाह रुचि है, जिनका मष्तिष्क आलोकिक गंगा नदी की धाराओं से सजायमान है, जो उनकी जटाओं की गहराई में उमड़ रही है |   जिनके मष्तिष्क की सतह पर अग्नि ज्वलित है, और महादेव अपने सिर पर अर्ध-चंद्र को आभूषण के सामान धारण किये हुवे है |

3- मेरा मन महादेव में अपनी खुशी खोज रहा हे | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में विचरण करते  है, जिनकी पत्नी पार्वती है, जो अपनी करुण दृष्टि से असाधारण आपदाओं को नियंत्रित किये हुवे है, जो हर जगह विध्यमान है, और जो दिव्य लोकों को अपने वस्त्रो की तरह धारण करते है |

4- महादेव जो  के रक्षक हे मुझे उन महादेव शिव में सुख मिले ,  गले में जो सर्प हे उस सर्प का फन लाल-भूरे रंग के समान है और उसमे मणि चमक रही है, ये मणि सभी दिशाओं की देवियों के सुंदर मुख पर विभिन्न रंग बिखेर रही है, जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढका हुआ है |

5- महादेव हमें समृद्धि दे, जिनका मुकुट चंद्र है, जिनकी जटा लाल नाग के हार से बंधे हुवे है, जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है, जो देवताओं के सिर से गिरती है |

6- शिव की जटाओं से हम सिद्धि का धन प्राप्त करें, जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर तीसरी आँख की अग्नि की ज्वाला से नष्ट किया था, जो सारे देवताओ के द्वारा स्वीकार्य और वंदनीय है, जो अर्ध चंद्र से सुशोभित है |

7- मेरी महादेव में असीम रूचि है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि के हवाले कर दिया था , उनके भीषण मस्तक की सतह दगड की ध्वनि से जलती है, वे केवल एकमात्र कलाकार है, जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर, सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण है |

8- भगवान शिव ही सम्पूर्ण संसार का भार उठाते हैं, चंद्रमा जिनकी शोभा है, जिनके पास पवित्र गंगा नदी है, जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली और नीलकंठ के समान है |

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9- मैं महादेव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है, पूरा खिला हुआ नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ, जो ब्रम्हांड की कालिमा के समान दिखाई देता है | 

10- जो कामदेव और त्रिपुर को मारने वाले हैं, जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों का नाश किया, जिन्होंने बलि का भी अंत किया, जिन्होंने नामक अंधक असुर का विनाश किया, जो हाथियों को मात देने वाले है, और जिन्होंने यम देवता को पराजित किया |

11- महादेव शिव का ताण्डव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड की तेज आवाज के साथ लय में है, जिनके मस्तक पर अग्नि है और वो अग्नि फैल रही है नाग की फुफकार के कारण, गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई |

12- मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, जो एक शाश्वत शुभ देवता तथा जो सम्राटो और लोगों के प्रति , घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति, सांप और हार के प्रति , सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति समभाव दृष्टि रखते है

13- मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, पवित्र गंगा नदी के निकट गुफाओ में रहते हुए, हर समय अपने सिर पर अपने हाथों को बांधकर रखे हुए, अपने धूमिल विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र का जाप करते हुए, महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान शिव को समर्पित |

14- इस पवित्र स्तोत्रम को, जो कोई भी पढ़ता है, स्मरण करता है और अन्यो को सुनाता है, वह हमेशा के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है | इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है। बस महादेव शिव का विचार ही हमारे मन में उत्पन्न भ्रम को दूर कर देता है।

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