Teja Hoyo Re Diwano Thare Naam Ro Bhajan Lyrics In Hindi | तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो भजन लिरिक्स | Tejaji ka jivan parichay
नमस्कार साथियों आज हम आपके लिए राजस्थान के लोकदेवता श्री वीर तेजाजी का एक बहुत ही प्रसिद्ध भजन ‘’ Teja hoyo re divano thare naam ro ‘’ लेकर आये हे ये भजन राजस्थानी गायक एवं कलाकार श्री जोगाराम प्रजापत द्वारा गाया गया हे |
इस भजन ‘’ तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो ‘’ के लिरिक्स आपको यह निचे दिए गए हे | इस भजन में तेजाजी महाराज की महिमा का गुणगान किया गया हे तो आइये भजन को सुनने से पहले और पढने से पहले हम वीर तेजाजी के बारे में थोडा सा जान ले |
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Teja Hoyo Re Diwano Thare Naam Ro Bhajan Lyrics In Hindi | तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो भजन लिरिक्स
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा , नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
Ho thane nit uth jodu hath sa , nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
Ho thane nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
खरनाल्या रा वीर तेजाजी, वीर तेजाजी |
म्हारो जग में नाम में सवायो रे |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
Kharnalya ra veer Tejaji , veer Tejaji.
Mharo jag me naam savaayo re.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
Ho thane nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
लीलन रा असवार तेजाजी , असवार तेजाजी |
हो थारे भाला ऊपर कालो नाग सोवे जी |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
Leelan ra asvaar Tejaji , asvaar Tejaji.
Ho thare bhaala upar kalo naag sove ji.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
Ho thane nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
तेजाजी ने जो कोई शीश नमावे , शीश नमावे |
हो जारे कोई बात रो नि घाटो सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
Tejaji ne jo koi sheesh namave , sheesh namave.
Ho jaare koi baat ro ni ghaato sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
Ho thane nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
चुनाराम दुगेर थारा भगत कहिजे भगत कहिजे |
महिमा जोगाराम प्रजापत गावे सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
हो थाने नित उठ जोडू हाथ सा |
तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो , तेजा होयो रे दिवानो थारे नाम रो |
थारे नाम रो|
Chunaram duger thaara bhagat kahije , bhagat kahije.
Mahima Jogaram Prajapat gaave sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro.
Ho thane nit uth jodu hath sa.
Teja hoyo re divano thare naam ro , teja hoyo re divano thare naam ro.
Thare naam ro
वीर तेजाजी का परिचय
समय समय पर किसी क्षेत्र विशेष में लोगो की रक्षा हितार्थ अपने आप को जोखिम में डालकर सच्चाई , स्वतंत्रता , सामाजिक सुधर आदि मूल्यों को चलायमान रखा | राजस्थान का क्षेत्र भी वीरो की गाथाओ से भरा हुआ हे यह पर भी लोगो ने लोक कल्याणकारी कार्य कर मूल्यों और गोरव को बरक़रार रखा | ऐसे ही सत्यवादी और अपने वचन के प्रति अडिग रहने वाले गो रक्षक वीर पुरुष श्री वीर तेजाजी महाराज को बारम्बार नमन |
वीर तेजाजी को भगवान शिव का अवतार माना जाता हे | तेजाजी महाराज का जन्म राजस्थान राज्य के नागौर जिले के खरनाल गाव में माघ शुक्ल चौदस विक्रम संवत 1130 (अंग्रेजी तारीख 29 जनवरी 1074) को धोल्या जाट परिवार में खरनाल के मुखिया ताहड़ देव जी के घर में हुआ उनकी माता का नाम राम कंवरी था | इनके माता पिता दोनों ही महादेव के भक्त थे और उन्हें नाग देवता के आशीर्वाद से तेजाजी के रूप में पुत्र प्राप्ति हुई |
कहते हे की तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाव में पेमल के साथ तय कर दिया गया था | किन्तु किसी बात पर अनबन से उनके रिश्ते में दरार पद गयी और विवाह सम्बन्धी बात तेजाजी को नही बताई गयी | परन्तु उनकी भाभी ने तानो में यह बात तेजाजी को कह डाली तो फिर तेजाजी को ये बात सेहन नहीं हुई और वे लीलन घोड़ी पर सवार होकर पनेर गाव में अपनी पत्नी पेमल को लेने चले गए | अज्ञानतावश ससुराल वालो से उनका अपमान हो गाया तो तेजाजी नाराज होकर वापस चले गए फिर ससुराल से आते वक्त लच्छा गुजरी के साथ पेमल थी तो वही तेजाजी को पेमल के साथ प्रथम मुलाकात हुई |
उस रात वे वही रहे | रात को लच्छा गुजरी की गाये मेर के मीणा चुरा कर ले गए तो लच्छा गुजरी घबराती हुई तेजाजी से मदद मांगती हे और तेजाजी लच्छा गुजरी की गाये मेर में मीणाओ से छुड़ाने चले जाते हे | रस्ते हे एक सांप आग में जलता हुआ उन्हें दिखाई पड़ता हे तो वे उसे आग से बचाकर दूर कर देते हे लेकिन सांप इस पर गुस्सा हो जाता हे की वो अपने जोड़े से अलग हो गया तो वे उन्हें डसना चाहता था |
लेकिन तेजाजी ने अपनी कहानी बताई और वचन दिया की में पुन इसी मार्ग से आऊंगा तब आप मुझे डस लेना इस पर नाग मान गया और तेजाजी चले गये और मीणा से संघर्ष कर गायो को छुड़ा लेते हे और फिर नाग देवता के सामने पहुच जाते हे | नाग देवता उनकी वचनबधता से खुश हो जाता हे और तेजाजी को माफ़ कर देता हे पर तेजाजी नहीं मानते हे और नाग को डसने के लिए कहते हे तो नाग बोलता हे की में डसू कहा आपका तो पूरा शरीर लहूलुहान हे इसलिए आप चले जाओ मेने आपको माफ़ कर दिया तो फिर तेजाजी कहते हे की आप मेरी जीभ पर डस लो इस पर कोई लहू नहीं लगा हुआ हे |
इस तरह तेजाजी ने अपने वचन को खाली नहीं जाने दिया और गायो की रक्षा भी की और अपनी संस्कृति की लाज रखकर बलिदान दे दिया | और किशनगढ़ के पास सुरसुरा गाव के समीप सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल दशमी विक्रम संवत 1160 ( अंग्रेजी तारीख 28 अगस्त 1103 ) को हो गयी उनके साथ उनकी पत्नी पेमल भी सती हुई और सर्प ने उनकी वचनबद्धता देखकर उन्हें ये वरदान दिया की आप भी सांपो के देवता के रूप में पूजे जाओगे |
हर एक गाव में तेजाजी के थान और देवरे हे जहा लोग इनकी पूजा करते हे | इनकी मूर्ति पर नाग की मूर्ति भी साथ होती हे | हर वर्ष उनके निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजा दशमी के रूप में मनाया जाता हे | प्रतिवर्ष खरनाल में विशाल मेले का आयोजन होता हे जहा लाखो लोग तेजाजी के दर्शन के लिए आते हे खरनाल में तेजाजी महाराज का भव्य मंदिर हे | सर्वप्रथम तेजाजी ने ही सांप के जहर के इलाज के रूप में गौ मूत्र और गोबर की राख के प्रयोग की शुरुआत की थी | वीर तेजाजी का गौ रक्षा के लिए किया गया बलिदान उनको लोकदेवता की श्रेणी में ले आया |
तो साथियों ऐसे थे हमारे वीर तेजाजी महाराज साथ ही इनके भजन भी इतने लोकप्रिय हे की त्योहारों विवाह अवसर हो या कोई और कार्यक्रम तेजाजी के भजन पर लोग झूम उठते हे |
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