Shri Hanuman Amritwani hanuman bhajan | shri hanuman amritwani
Hanuman Bhajan – Hanuman Amritwani
Album – Shree Hanuman Amritwani
Singer – Anuradha Paudwal
Lyrics – Balbir Nirdosh
Composer / Music – Surinder Kohli
Music Label – T-Series
Song Duration - 15:16 mins
shri hanuman amritwani mp3
नमस्कार साथियो जय बजरंग बलि | आज हम आपके लिए श्री हनुमान अमृतवाणी गीत हिंदी में भाग 2 "हनुमान अमृतवाणी" लेकर आये हे | भक्त के मार्ग में ये एक हनुमान भजन है जिसे मशहूर गायिका अनुराधा जी पौडवाल ने गाया है | श्री हनुमान अमृतवाणी भजन के बोल बलबीर निर्दोष जी द्वारा लिखे गए हैं। इसे टी सीरीज द्वारा प्रस्तुत किया गया हे |
इस भजन में हनुमान जी के श्री राम भक्ति के कई किस्से / घटनाओ के बारे में बताया गया हे की क्यों हनुमान श्री राम के सबसे परम भक्त हे | इस भजन को सुनने से मन को आत्मिक शांति मिलती हे | इस भजन के लिरिक्स यहाँ निचे दिए गए हे |
Shree Hanuman Amritwani Lyrics in Hindi | shri hanuman amritwani lyrics
रामायण की भव्य जो माला हनुमत उसका रत्न निराला |
निश्चयपूर्वक अलख जगाओ जय जय जय बजरंग ध्याओ |
अंतर्यामी है हनुमंता लीला अनहद अमर अनंता |
राम की निष्ठा नस नस अंदर रोम रोम रघुनाथ का मंदिर |
सिद्धि महात्मा ये सुख धाम इसको कोटि कोटि प्रमाण |
तुलसीदास के भाग्य जगाये साक्षात के दर्श दिखाए |
सूझ बूझ धैर्य का है स्वामी इसके भय खाते खलकामी |
निर्भिमान चरित्र है उसका हर एक खेल विचित्र है इसका |
सुंदरकांड है महिमा इसकी ऐसी शोभा और है किसकी |
जिसपे मारुती की हो छाया माया जाल ना उस तक आया |
मंगलमूर्ति महसुखदायक लाचारों के सदा सहायक |
कपिराज ये सेवा परायण इससे मांगो राम रसायन |
जिसको दे भक्ति की युक्ति जन्म मरण से मिलती मुक्ति |
स्वार्थ रहित हर काज है इसका राम के मन पे राज है इसका |
वाल्मीकि ने लिखी है महिमा हनुमान के गुणों की गरिमा |
ये ऐसी अनमोल कस्तूरी जिसके बिना रामायण अधूरी |
कैसा मधुर स्वभाव है इसका जन जन पर प्रभाव है इसका |
धर्म अनुकूल नीति इसकी राम चरण से प्रीती इसकी |
दुर्गम काज सुगम ये करता जनमानस की विपदा हरता |
युगो में जैसे सतयुग प्यारा सेवको में हनुमान निरारा |
श्रद्धा रवि बजरंग की रे मन माला फेर |
भय भद्रा छंट जाएंगे घडी लगे ना देर |
अहिरावण को जिसने मारा तुझे भी देगा वो ही सहारा |
शत्रु सेना के विध्वंसक धर्मी कर्मी के प्रसंशक |
विजयलक्ष्मी से है विपोषित महावीर की छवि है शोभित |
बाहुबल प्रचंड है इसका निर्णय अटल अखंड है इसका |
हनु ने जग को ये समझाया बिना साधना किसने पाया |
ज्ञान से तुम अज्ञान मिटाओ सद्गुण से दुर्गुण को भगाओ |
हनुमत भजन यही सिखलाता पुण्य से पाप अदृश्य हो जाता |
जो जन पढ़े हनुमान चालीसा हनु करे कल्याण उसी का |
संकटमोचन जी भर पढ़िए मन से कुछ विश्वास भी करिये |
बिना भरोसे कुछ नहीं होता तोता रहे पिंजरे का तोता |
पाठ करो बजरंग बाण का यही तो सूरज है कल्याण का |
रोम रोम में शब्द उतारो ऊपर ऊपर से ना पुकारो |
अपना बनाएगा वो तुमको गले लगाएगा वो तुमको |
भीतर से यदि रोये ना कोई उसका दिल से होये ना कोई |
हनुमत उसको कैसे मिलेगा सुख का कैसे फूल खिलेगा |
मन है यदि कौवे के जैसा हनु हनु फिर रटना है कैसा |
कपडे धोने से क्या होगा नस नस भीतर है यदि धोखा |
मन की आँखे भी कभी खोलो मन मंदिर में उसे टटोलो |
हनुमत तेरे पास है रहता देख तू पिके अमृत बहता |
कपिपति हनुमंत की सेवा करके देख |
तेरे नसीबो की पल में बदल जाएगी रेख |
बजरंग सचिदानंद का प्यारा भक्ति सुधा की पावन धारा |
अर्जुन रथ की ध्वजा पे साजे बन के सहायक वह विराजे |
जनक नंदिनी की ममता में अवधपुरी की सब जनता में |
रमी हुई है छवि निराली भक्त राम का भाग्यशाली |
देखा उसने एक दिन जाके सीता को सिन्दूर लगाते |
भोलेपन में हनु ने पूछा क्यूँ लागे ये इतना अच्छा |
ऐसा करने से क्या होता मांग में भरने से क्या होता |
मुझे भी मैया कुछ बतलाओ क्या रहस्य है ये समझाओ |
जानकी माता बोली हँसके बाँध लो पल्ले ये तुम कसके |
न्याय करता अंतर्यामी रघुवर जो है तुम्हरे स्वामी |
जितना ये मैं मांग में भरती उतनी उनकी आयु बढ़ती |
मैं जो उनको मन से चाहती इसीलिए ये धर्म निभाती |
रामभक्त हनुमान प्यारे तीन लोक से है जो न्यारे |
श्रद्धा का वो रंग दिखाया रंग ली झट सिन्दूर से काया |
बिलकुल ही वो हो सिन्दूरी प्रभु की भक्ति करके पूरी |
अद्भुत ही ये रूप सजा के राजसभा में पहुंचे जाके |
देख कपि दी दशा न्यारी खिलखिलाये सब दरबारी |
प्रभु राम भी हँसके बोले ये क्या रूप है हनुमत भोले |
हनु कहा जो लोग है हँसते वो नहीं इसका भेद समझते |
जानकी मैया भी ये कहती इस से आपकी आयु बढ़ती |
चोला ये सिन्दूर का चढ़े जो मंगलवार |
कपि के स्वामी की इससे आयु बढे अपार |
विजय प्राप्त कर जब लंका पे राम अयोध्या नगरी लौटे |
राजसिंहासन पर जब बैठे फूल गगन से ख़ुशी के बरसे |
जानकी वल्लभ करुणाकर ने सबको दिए उपहार निराले |
मुक्ताहार जो मणियो वाला जिसका अद्भुत दिव्य उजाला |
सीता जी के कंठ सजाया राम ही जाने राम की माया |
सीता ने पल देर ना कीन्ही वो माला हनुमान को दीन्हि |
महावीर थे कुछ घबराये रहे देखते वो चकराए |
जैसे उनको भाये ना माला हृदय को भरमाये ना माला |
गले से माला झट दी उतारी तोड़े मोती बारी बारी |
हीरे कई चबाकर देखे सारे रत्न दबाकर देखे |
व्याकुल उसकी हो गयी काया पानी नैनन में भर आया |
जैसे दिल ही टूट गया हो भाग्य का दर्पण फूट गया हो |
चकित हुए थे सब दरबारी बोझ सिया के मन पे भारी |
राम ने कैसा खेल रचाया कोई भी इसको जान ना पाया |
पूछा सिया ने अंजनी लाला मा का प्यार था ये तो माला |
मा की ममता क्यों ठुकरा दी कौन सी गलती की ये सजा दी |
बजरंग बोले आंसू भर के जनक सुता के चरण पकड़ के |
मैया हर एक मोती देखा तोड़ तोड़ के सब कुछ परखा |
कहीं ना मूरत राम की माता वो माला किस काम की माता |
कोड़ी के वो हीरे मोती जिनमे राम की हो ना ज्योति |
सुनके वचन हनुमान के कहा सिये तत्काल |
राम तेरे तुम राम के हो ऐ अंजनी के लाल |
एक समय की कथा ये सुनिए कपि महिमा के मोती चुनिए |
राम सेतु के निकट कहीं पर राम की धुन में खोये कपिवर |
सूर्य पुत्र शनि अभिमानी ना जाने क्या मन में ठानी |
हनुमान को आ ललकारा देखना है बल मैंने तुम्हारा |
बड़ा कुछ जग से सुना सुनाया युद्ध मैं तुमसे करने आया |
महावीर ने हँसके टाला काहे रूप धरा विकराला |
महाप्रतापी शनि तू माना शक्ति कहीं जा और दिखाना |
राम भजन दे करने मुझको हाथ जोड़ मैं कहता तुझको |
लेकिन टला ना वो अहंकारी कहा अगर तू है बलकारी |
मुझको शक्ति ज़रा तू दिखादे कितने पानी में है बता दे |
हनुमान ने पूंछ बढ़ाकर शनि के चारो ओर घुमाकर |
कस के उसे लपेटा ऐसे नाग जकड़ता किसी को जैसे |
खूब घुमा के दिया जो झटका बार बार पत्थरो पे पटका |
हो गया जब वो लहू लुहान चूर हो गया सब अभिमान |
ऐसे अब ना छोडूंगा तुझको कहा हनु ने वचन दे मुझको |
मेरे भक्तो को तेरी दृष्टि भूल के कष्ट कभी ना देगी |
शनि ने हा का शक्त ऊंचारा तब हुआ जाकर छुटकारा |
चोटों की पीड़ा से वो रोकर तेल मांगने लगा दुखी होकर |
शास्त्र हमको ये ही बताता जो भी शनि को तेल चढ़ाता |
उसकी दशा से वो बच जाता हनुमान की महिमा गाता |
शनि कभी जो आ घेरे मत डरियो इंसान |
जाप करो हनुमान का हो जाए कल्याण |
हनुमान निर्णायक शक्ति हनुमान पुरषोतम भक्ति |
हनुमान है मार्गदर्शक हनुमान है भय विनाशक |
हनुमान है दया निधान हनुमान है गुणों की खान |
हनुमान योद्धा सन्यासी हनुमान है अमर अविनाशी |
हनुमान बल बुद्धि दाता हनुमान चित शुद्धि करता |
हनुमान स्वामी का सेवक हनुमान कल्याण दारक |
हनुमान है ज्ञान ज्योति हनुमान मुक्ति की युक्ति |
हनुमान है दीन का रक्षक हनुमान आदर्श है शिक्षक |
हनुमान है सुख का सागर हनुमान है न्याय दिवाकर |
हनुमान है सच का अंजन हनुमान निर्दोष निरंजन |
हनुमान है आश्रय दाता हनुमान सुखधाम विधाता |
हनुमान है जग हितकारी हनुमान है निर्विकारी |
हनुमान त्रिकाल की जाने हनुमान सबको पहचाने |
हनुमान से मनवा जोड़ो हनुमान से मुँह ना मोड़ो |
हनुमान का कीजे चिंतन हनुमान हर सुख का सागर |
हनुमान को ना बिसराओ हनुमान की शरण में जाओ |
हनुमान हे उत्तम दानी हनुमान का जप कल्याणी |
हनुमान जग पालनहारा हनुमान ने सबको तारा |
हनुमान की फेरो माला हनुमान है दीनदयाला |
हनुमान को सिमरो प्यारे हनुमान है साथ तुम्हारे |
पवन के सुत हनुमान का जिसके सिर पर हाथ |
उसको कभी डराये ना दुख की काली रात |
जय जय जय हनुमान जय हो दया निधान |
जय जय जय हनुमान जय हो दया निधान |
हमें उम्मीद है कि आपने श्री हनुमान अमृतवाणी हिंदी में भजन को पढ़ा और उसके बोल आप समझ गए होंगे। यदि आपका हनुमान अमृतवाणी भाग 2 से जुड़ा कोई भी प्रश्न हे तो आप हमें सम्पर्क जरूर करे | धन्यवाद जय बजरंग बलि |
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