Namami shamishan nirvan roopam Song लिरिक्स | Rudrashtakam Lyrics | Maha Shivratri Special शिव रुद्राष्टक स्तोत्र

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं शिव भगवान की स्तुति का सबसे उत्कृष्ट और अद्भुत चमत्कारिक मंत्र और पाठ हे | प्रसिद्ध ग्रन्थ रामचरितमानस के रचियता गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा इस रुद्राष्टकम की रचना की गयी हे | ये रामचरितमानस का ही भाग हे और भगवान शिव को समर्पित हे | कहा जाता हे की भगवान श्रीराम जी ने लंका जाने के समय समुद्र तट पर शिवलिंग की स्थापना की और इस स्तुति “ शिव रुद्राष्टकम लिरिक्स और अर्थ | Rudrashtakam Lyrics In Hindi “ का पाठ किया था | 'श्री शिव रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ त्वरित फलदाई है |


Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics
Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics

-:Song Detail:-
Namami shamishan nirvan roopam mp3 Song
Song Name - Namami shamishan nirvan roopam
Album - Rudrashtkam
Lyrics – Traditional
Song Duration - 05:24 mins
Label – Religious
Category - 

Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics


इस स्तुति का पाठ करने पर उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई थी | तो आइये आप और हम मिलकर इस स्तुति का जाप करे और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करे | इस स्तुति “ Namami shamishan nirvan roopam lyrics hindi GreatBhajan “ के लिरिक्स यहाँ नीचे दिए गए हे |


Shiv Bhajan | नमामि शमीशान निर्वाण रूपं लिरिक्स | शिव रुद्राष्टकम SHIVA RUDRASHTAKAM STOTRAM Lyrics In HIndi


नमामीशमीशान निर्वाणरूपम् ,
विभुम् व्यापकम् ब्रह्म देवस्वरूपम् ।
निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम् ,
चिदाकाशमाकावासम् भजेहम् ।।

निराकारमोंकारमूलम् तुरीयम् ,
गिरा ग्यान गोती तमीशम् गिरीशम् ।
करालम् महाकाल कालम् कृपालम् ,
गुणागार संसार पारम् नतोहम् । ।

तुषाराद्रि संकाश गौरम् गभीरम् ,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा ।।

Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics
Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics

चलत्कुंडलम् भू सुनेत्रम् विशालम् ,
प्रसन्नाननम् नीलकंठम् दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरम् मुण्डमालम् ,
प्रियम् शंकरम् सर्वनाथम् भजामि ।।

प्रचंडम् प्रकृष्टम् प्रगल्भम् परेशम् ,
अखंडम् अजम् भानुकोटि प्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनम् शूलपाणिम् ,
भजेहम् भवानी पतिम् भावगम्यम् ।।

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी ,
सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी ।
चिदानंद संदोह मोहा पहारी ,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।

नयावद् उमानाथ पादार विन्दम् ,
भजंतीह लोके परेवा नराणाम् ।
नतावत्सुखम् शान्ति सन्ताप नाशम् ,
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधि वासम् ।।

न जानामि योगम् जपम् नैव पूजाम् ,
नतोहम् सदा सर्वदा शंभु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानम् ,
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।

।। श्लोक।।

रूद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हर तोषये |
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भुः प्रसीदति ||

Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics
Shiv Bhajan | Bholenath Bhajan Lyrics

श्रीरुद्राष्टकम् नमामीशमीशान निर्वाणरूपं हिंदी अर्थ | रुद्राष्टक का अर्थ

हे भगवान ईशान को मेरा प्रणाम आप महान ओम के दाता हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण में सर्वत्र व्यापत हैं जो अपने आपको धारण किये हुए हैं जिनके सामने गुण अवगुण का कोई महत्व नहीं, जिनका कोई विकल्प नहीं, जो निष्पक्ष हैं जिनका आकार आकाश के समान हैं जिसे मापा नहीं जा सकता अर्थात निराकार हे उनकी मैं उपासना करता हूँ |


जिनका कोई आकार नहीं, जो ओम के मूल हैं, जिनका कोई राज्य नहीं, जो गिरी कैलाशो के वासी हैं, जो कि सभी ज्ञान और शब्दों से परे हैं, जो कि कैलाशपति हैं, जिनका रूप भयावह हैं, जो कि काल के स्वामी हैं, जो उदार एवम् दयालु हैं, जो गुणों का खजाना हैं, जो पुरे संसार से परे हैं उनके सामने मैं नतमस्तक हूँ |


जो कि बर्फ के समान शील हैं, जिनका मुख सुंदर हैं, जो गौरे रंग के हैं जो गहन चिंतन की मुद्रा में हैं, जो सभी जिव जंतु और प्राणियों के मन में हैं, जिनका वैभव अपार हैं, जिनकी देह और काया सुंदर हैं, जिनके मस्तक पर तेज हैं जिनकी जटाओ में लहलहाती माता गंगा विराजमान हैं, जिनके चमकते हुए मस्तक पर चाँद विराजमान हैं, और जिनके कंठ पर सर्प का वास हैं |


जिनके कानों में बड़ी बड़ी बालियाँ हैं, जिनकी सुन्दर भौंहें और बड़ी-बड़ी आँखे हैं जिनके चेहरे पर सुख शांति का भाव हैं जिनके कंठ में विष का वास हैं जो दयालु हैं, जिनके वस्त्र शेर की खाल हैं, जिनके गले में मुंड की माला हैं ऐसे प्रिय शिव शंकर पुरे संसार के नाथ हैं उनको मैं पूजता हूँ |


जो भयंकर हैं, जो परिपक्व साहसी हैं, जो श्रेष्ठ हैं अखंड है जो अजन्मे हैं जो सहस्त्र सूर्य के सामान प्रकाशवान हैं जिनके पास त्रिशूल हैं जिनका कोई मूल नहीं हैं जिनमे किसी भी मूल का नाश करने की शक्ति हैं ऐसे त्रिशूल धारी माँ भगवती के पति जो केवल भक्ति और प्रेम से जीते जा सकते हैं उन्हें मैं वन्दन करता हूँ |


जो काल के बंधे नहीं हैं, जो जन कल्याणकारी हैं, जो विनाशक भी हैं, जो हमेशा आशीर्वाद देते है और धर्म का साथ देते हैं , जो अधर्मी का नाश करते हैं, जो चित्त का आनंद हैं, जो जूनून हैं जो मुझसे खुश रहे ऐसे भगवान जो कामदेव नाशी हैं उन्हें मेरा प्रणाम |


जो यथावत नहीं हैं, ऐसे उमा पति के चरणों में कमल वन्दन करता हैं ऐसे भगवान को पूरे लोक के नर नारी पूजते हैं, जो सुख हैं, शांति हैं, जो सारे दुखो का नाश करते हैं जो सभी जगह वास करते हैं |


मैं कुछ नहीं जानता, ना योग, न जप न ही पूजा, हे देव मैं आपके सामने अपना मस्तक हमेशा झुकाता हूँ, सभी संसारिक कष्टों, दुःख दर्द से मेरी रक्षा करे. मेरी बुढ़ापे के कष्टों से से रक्षा करें | मैं सदा ऐसे शिव शम्भु को प्रणाम करता हूँ |


।। इति श्री शिवरूद्राष्टकम ।।

आपने महादेव जी की ये स्तुति " Namami shamishan nirvan roopam Song लिरिक्स | Rudrashtakam Lyrics | Maha Shivratri Special शिव रुद्राष्टक स्तोत्र " सुना | आशा हे आपको ये मधुर सांग / भजन पसंद आया हे. इस भजन में भोलेनाथ शिव शंकर जी की महिमा और भक्ति का वर्णन किया गया हे. महादेव जी की ये स्तुति " Namami shamishan nirvan roopam Song लिरिक्स " करने से मन को शांति मिलती हे और हमारे दुखो का नाश होता हे. 

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